कल कम्पनीज़ सेक्रेट्रिस को संबोधित करते हुऐ प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक आर्थिक भाषण दिया है। उनका यह संबोधन जहां चाय परचून की दुकान पर बैठ कर और मोबाइल लैपटॉप पर अर्थ व्यवस्था पर चिंतन करने वालों के ज्ञानचक्षुओं को खोलने के लिये था वही अस्थिर, अधीर और शंकित समर्थको के लिये भी था। वैसे तो लोगो ने जगह जगह इस पूरे भाषण को छापा है लेकिन मेरे लिये उसके कुछ बिंदु महत्वपूर्ण है जो जहां आज के भारत की अर्थव्यस्था के स्वस्थ होने के इंडिकेटर है वही यह स्पष्टता भी देती है कि भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर जो नकरात्मकता का विज्ञापन चलाया गया है और उसको लेकर जो विषवमन किया जारहा है वह सिर्फ बदली हुई व्यवस्था में टूटे हुए हौसलों और भृष्ट व्यवस्था के मोह को न त्याग पाने की व्यथा है जिसमे विपक्ष के साथ वह समर्थक भी है जिन्होंने 2014 को मोदी को वोट किया था लेकिन 2019(2018) में नही करेंगे।
यदि कुछ लोगो को भारत की अर्थव्यस्था पर कालिमा छाई हुई दिख रही है या फिर भविष्य अंधकारमय दिख रहा है तो निश्चित रूप से उनको अपनी नज़रो से काला चश्मा उतार कर निम्न आंकड़ो को समझना चाहिये क्योंकि जो सामने आईना दिखाया जारहा है उसमें उभरे अक्स बड़े साफ यह बता रहे है कि परिवर्तन हो चुका है। मेरा अपना विचार है कि अब लोगो को इस परिवर्तन से होने वाले परिणामो की सार्थकता के लिये इससे हुये कष्टों को नेसेसरी ईविल की तहत स्वीकार लेना चाहिये।
मैं कोई अर्थशास्त्री नही हूँ लेकिन फिर भी इसके बेसिक्स समझता हूँ। कल जो आंकड़े बोले गये है उनमे कुछ आंकड़े पहले भी सरकार द्वारा सामने किये गये थे लेकिन लोगो के अपने पूर्वाग्रह में समझने की जरूरत नही समझी थी। आइये देखते है कि भारत क्या वास्तविकता में बोल रहा है।
®8 नवम्बर की नोटबन्दी से पहले कैश टू जीडीपी रेशिओ 12% > आज कैश टू जीडीपी रेशिओ 9%(बड़ी सफलता)
®यूपीए काल मे 8 बार जीडीपी की ग्रोथ तिमाही में 5.7%(किसी अर्थशास्त्री को भारत अंधकारमय नही लगा) > एनडीए काल मे जीडीपी की ग्रोथ किसी तिमाही में 5.7 (भारत की अर्थव्यवस्था अंधकारमय)
®सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स आफिस(CSO) जब जीडीपी वृद्धि 7.4% बताता है तो आलोचक उसे फ़र्ज़ी आंकड़े बताते है वही जब यह CSO, 5.7% बता रहा है तो सही बताया जारहा है। आंकड़े कोई फ़र्ज़ी नही है बल्कि देखने की निगाह फ़र्ज़ी है जो नकरात्मकता की आशा में जीता है।
®एक समय भारत की अर्थव्यवस्था इस अवस्था मे पहुंच गई थी कि अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ने भारत को एक नये ग्रुप का हिस्सा, जिसे 'फ़र्ज़ाईल फाइव' (भुरभुरी अर्थव्यवस्था) कहा गया, बना दिया गया था(तब कोई प्रलय नही आयी थी) आज वही अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था भारत को विश्व की सबसे तेजी से मजबूत होती अर्थव्यस्था कह रही है लेकिन आलोचक प्रलय की भविष्यवाणी करने में लगे है।
®महंगाई जो 10 % से ज्यादा थी वह आज कम होकर करीब 2.5 % हो गयी है लेकिन इस पर बात नही हो रही है क्योंकि पर यह आंकड़े आलोचकों को मुहँ चिढ़ाते है।
®करंट अकाउंट डेफिसिट जो 4% था वह औसतन 1% के आसपास आ गया है उसको समझने की अक्ल ही आलोचकों को नही है।
®आज फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 40 हजार करोड़ डॉलर है जिसमे 25% वृद्धि हुयी है जो विदेशी निवेशकों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनके विश्वास को दर्शाता है।
®जून के बाद कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री में 23%, दो पहिया वाहनों की बिक्री में 14%, डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक में 14%, हवाई जहाज के जरिए माल ढुलाई में 16%, टेलिफोन सब्सक्राइबर में 14%, ट्रैक्टर की बिक्री में 34% से ज्यादा की वृद्धि जहां शहरी व ग्रामीण क्षेत्र दोनो में बढ़ते हुए विकास और क्रय शक्ति को दर्शा रही है वहां आलोचकों की अर्थव्यवस्था की समझ का दिवालियापन भी दिखाता है।
®आज जो लोग सरकार को दे रहे टैक्स से दुखी है या देने पड़ रहे टैक्स का हिसाब मांग रहे है उनके पास या तो सरकार द्वारा किया जारहा चौमुखी विकास कार्य देखने के चक्षु नही है या फिर उन्होंने यही मान रखा है कि भारत की सरकार के हाथ कोई अलादीन का चिराग हाथ लग गया है और मुफ्त में काम किया जारहा है।
®जहां यूपीए की सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर की सड़क बनी > वहीं आज की सरकार तीन साल में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनाती है।
®यूपीए सरकार ने 15 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाने का काम किया > वहीं आज की सरकार तीन साल में 34 हजार किलोमीटर सड़क बनाई है।
®यूपीए सरकार ने भूमि लेने और सड़कों के निर्माण पर 93 हजार करोड़ खर्च किये > वही आज की सरकार ने 1.83 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च किया।
®यूपीए सरकार के 3 साल में 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन बनाई > वही आज की सरकार ने 2100 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइन बिछाई।
®यूपीए सरकार में 1300 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ > वही आज की सरकार ने 2600 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण किया।
®यूपीए की सरकार में 1.49 हजार करोड़ का कैपिटल एक्सपेंडेचर किया गया > आज की सरकार ने 2.64 लाख हजार करोड़ का एक्सपेंडेचर किया।
®यूपीए की सरकार ने 3 साल में 12 हजार मेगावाट की रिन्यूवल एनर्जी की क्षमता जोड़ी गई > आज की सरकार ने 22 हजार मेगावाट को जोड़ा है।
®यूपीए की सरकार ने रिन्यूएवल एनर्जी पर 4000 करोड़ खर्च किया था > आज की सरकार ने 10600 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया है
®यूपीए सरकार ने अपने पहले के तीन सालों में सिर्फ 15 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी > आज की सरकार ने 1 लाख 53 हजार करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी दी है।
®यह सारे आंकड़े सभी उठाय जारहे प्रश्नों और चिंताओ के सकारात्मक जवाब है जिस पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने सुद्रढ़ भारत के भविष्य की नींव रक्खी है। हां यहा पर जीएसटी को लेकर हो रही दिक्कतों का जहां संज्ञान लिये जाने की स्वीकारोक्ति भी है वही यह विश्वास भी दिया गया है कि 3 महीनों उसको दूर किये जाने के उपाय भी होंगे।
अंत मे जहां रेवड़ी बटोर कर वोट देने वाले स्वार्थी भारतीयों को एक कटु सत्य से अवगत कराया गया है की चुनाव में रेवड़ी बांटने और बटोरने से देश मजबूत नही हो सकता है वही पर नम्रता से देशवासियों से क्षमा भी मांगी है कि वे वर्तमान की चिंता में देश के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकता हूँ।
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