यहाँ के राजा आज भी भगवन श्री राम चंद्र हैं






ओरछा का राज न सिर्फ राम के नाम पर चलता हैबल्कि मंदिर में विराजे राम सरकारी गार्ड आफ ऑनर के साथ ही जागते-सोते हैं.


'दिवस ओरछा रहत हैंरेन अयोध्या बास'. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में जन्में राम देश-दुनिया में भले ही भगवान के रूप में पूजे जाते हैं,लेकिन ओरछा में रियासत काल से ही राम को 'भगवानके साथ-साथ 'राजा'माना गया है. यही कारण है कि आजादी के बाद से सरकार के सेनानी रोज इन्हें राजा के रूप में चार बार सलामी देते हैं. गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था सरकार ने की है.

यह मिथक है कि ओरछा रियासत काल में रानी कुंवरगनेश अयोध्या से भगवान राम को पुत्र की भांति ओरछा लाई थीं. यहां उन्होंने राम को पुत्रवत मान राजतिलक कराया और फिर तभी से मंदिर में विराजे राम भगवान के साथ-साथ राजा के रूप में स्वीकार किए गए.


देश और दुनिया में अकेले ओरछा ही ऐसा मंदिर हैजहां भगवान राम राजा के रूप में मान्य हैं. सरकार ने भी 'भगवानको 'राजामाना है. राजा की सुरक्षा और सम्मान में सरकार ने यहां मंदिर में सेनानी तैनात किए हैं. मंदिर के मुख्यद्वार पर पहरेदार के रूप में सेनानी 24 घंटे में चार बार सलामी देता है.

गार्ड ऑफ ऑनर यानी सलामी का वक्त सुबह 8 बजेदोपहर 12.30 बजेरात 8 बजे और देर रात 1.00 बजे नियत है. इन चारों वक्त मंदिर में आरती होती है.

मंदिर के पुजारी रमाकांत शरण बताते हैं कि यहां अयोध्या के भगवान राम राजा के रूप में विराजित हैं. वे कहते हैं- "ओरछा में आज भी राम राजा की ही सरकार चलती है."

यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि ओरछा नगरी की सीमा में किसी भी नेता अथवा अधिकारी को सलामी नहीं दी जाती और न ही कोई यहां अपने वाहन पर लगी बत्ती को जलाकर आता है. जून 1984 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ओरछा आईं तो यह सुन कर हतप्रभ रह गईं कि यहां राम को राजा के रुप में मान्यता मिली हुई है, इसलिए यहां राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को सलामी नहीं दी जाती.

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