विछिप्त राजकुमार

डॉ सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर कहते आये हैं कि प्रियंका वाड्रा मानसिक समस्याओं और शराबखोरी से पीड़ित हैं। उन्होंने हाल ही में दोहराया कि प्रियंका बाइपोलर डिसऑर्डर जिसे मैनिक डिप्रशेन भी कहते है, से पीड़ित हैं और और वो कभी भी हिंसक हो सकती है।
इतना सब जब नकली गांधियों के चाटुकारों ने सुना तो आपे से बाहर हो गए। उन्होंने स्वामी पर एक महिला पर हमला करने और और उसकी मानसिक स्थिति के बारे में झूठ बोलने के संगीन आरोप लगाए।
स्वामी अक्सर शब्दों के साथ कठोर हो जाते हैं लेकिन वो कहने से पहले अपनी बात को तौलते अवश्य हैं। और अगर उन्होंने किसी राजनेता की चिकित्सा स्थिति या फिटनेस पर सवाल उठाया जाए तो क्या गलत किया ?
आखिरकार, हमारे राजनेता जब जेल जाते हैं तो उनको सभी प्रकार के सीने में दर्द या हमले होते हैं और वो भी या तो गिरफ्तारी पर या सजा के बाद तो इतनी जांच होना तो ज़रूरी बनता है।
लालू अब जेल की तुलना में अस्पतालों में अधिक हैं, लेकिन जमानत चाहते हैं जिस से वे अपनी पार्टी के चुनावी अभियान को संभल सकें। 

भारत में मनोवैज्ञानिक विकारों पर पूरी तरह बात नहीं होती है। यहां तक कि मेंटल डिप्रेशन जो कि अब काफी आम है उसकी अबजाके व्यापक रूप से चर्चा की जा रही है।
अब करता हूँ मुद्दे की बात ...

कलअपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ एक बातचीत में जिस तरह से राहुल ने मोदी जी पर भद्दी जुबान में हमला किया उसके बाद इस विछिप्त परिवार के इस विछिप्त सदस्य राहुल की बात करना आज और भी ज़रूरी हो जाता है।
राजकुमार राहुल आज की तारिख में बोगस संगीन आरोप लगाने में माहिर माने जाने लगे हैं। राहुल के हालिया आचरण ने जो कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है और उनकी “बुद्धुमत्ता” पर अब कोई प्रश्न चिन्ह नहीं है। 

उन्होंने आज फिर यही साबित कर दिया जब एक आधे अधूरे पत्र को लेकर वो सामने आये..
यह हाल ही में मनोहर परिकर की घटना के बाद अधिक स्पष्ट हो गया था जिसमें राहुल ने चतुराई और योजनाबद्ध तरीक से एक झूठ को स्थापित करने की कोशिश की थी लेकिन ये झूठ इतना अपमानजनक था कि यह केवल एक मानसिक रूप से विक्षिप्त और हारे हुए व्यक्ति से ही आ सकता था।
अब ये स्पष्ट है कि परिकर के साथ राहुल की बैठक एक "योजनाबद्ध" घटना थी और झूठ का परिणाम भी एक "सुनियोजित" घटना थी। परिकर से मिलने के अगले दिन राहुल के भाषण पर एएनआई ने ये रिपोर्ट किया था :
वे राहुल के वो शब्द हैं जिन्हें एएनआई ने उद्धृत किया है। पहले वाक्य के बाद "मैं कल परिकर जी से मिला" ( रुकते हैं )... 

फिर अपने झूठे भाषण को जारी रखते हुए कहते हैं कि परिकर ने 5 मिनट की बैठक के दौरान उनसे क्या कहा था।
स्वाभाविक रूप से, परिकर ने एक तीखे पत्र के साथ जवाब दिया कि वो बैठक केवल 5 मिनट तक चली थी और राफेल का उल्लेख भी नहीं किया गया था और राहुल ने "क्षुद्र राजनीति" के लिए बैठक का दुरुपयोग किया। 

और यह अवश्यंभावी था कि वह जो झूठ है, उसने बहुत से लोगों को नाराज किया: @rvaidya2000
mentions ये वाकई में एक गिरा हुआ काम था। लेकिन आश्चर्य की कोई बात नहीं। यह देखते हुए कि राहुल को अब अमेरिका के स्टीव जार्डिंग द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है जो कि उन्ही झूठ, अर्ध-सत्य और चरित्र-हत्या चुनाव प्रचार अभियान के लिए जाना जाता है जो कि अमेरिकी चुनावों की एक नियमित विशेषता है।
mentions लेकिन राहुल के चरित्र का एक और भयावह पहलू है जो कि विकीलीक्स में एक अमेरिकी राजनयिक के केबल द्वारा पत्रकार सईद नकवी की एक टिप्पणी के आधार पर बहुत पहले सामने आया था:
mentions इसमें बताया गया है 
"नकवी ने दावा किया कि ये सर्वविदित है कि राहुल ऐसी भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक प्रकृति की व्यक्तित्व समस्याओं से ग्रस्त हैं जिसकी वजह से उन्हें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य नहीं करने देना चाहिए। यह केबल 3 मार्च, 2005 की है।"
mentions इन मानसिक विकार के कारणों का तो नहीं पता,लेकिन स्पष्ट रूप से उनका व्यवहार एक मानसिक रूप से विछिप्त व्यक्ति का है जो किसी भी तरह के नियमित समाज के साथ फिट नहीं हो पाए हैं।
mentions लेकिन इन सब को ताक पर रख कर अपने वंशवाद की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, राजनीतिक स्थिति और पार्टी के कारण, राहुल पर एक भूमिका लागू की गई है, किन्तु,जिसके लिए वह वास्तव में मानसिक रूप से अनुकूल नहीं है।
mentions मैं उसे विक्षिप्त व्यक्ति क्यों कहता हूं? 
यहाँ विछिप्त व्यक्ति के कुछ लक्षण दिए गए हैं:
अबआपको मैं क्रमबद्ध उदाहरणों के साथ समझाता हूँ 
1) राहुल संसद में भद्दे इशारे करता है और आँख मारता है। वह संसद के अंदर अपने साथियों को कागज के हवाई जहाज उड़ाने देता है। वह मोदी जी से खड़े होने के लिए कहता है और जब मोदी जी खड़े नहीं होते हैं तो ज़बरदस्ती जा के गले पड़ जाता है।
2) झूठ और मक्कारी से भरी बाते बोलना और धोखा देना जैसे फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने उनको बहुत बाते बताई थी है। राहुल के पास "राउल विंची" जैसे उपनाम हैं और दोहरी नागरिकता होने की सूचना है। वह व्यक्तिगत लाभ के लिए कपटता दिखाते हुए एक हिंदू या मुसलमान के रूप में कपड़े पहनता है।
3) दीर्घकालिक योजनाएं ? 

जी नहीं ऐसा कुछ नहीं है इसके पास , दीर्घकालिक योजनाएं तो जाने दीजिये उसके पास अल्पकालिक योजनाएँ भी नहीं हैं।
4) घमंड में आकर अध्यादेशों को फाड़ देना। उग्रता पूर्वक व्यवहार और पुलिस से भिड़ंत जैसे मंदसौर में किया था
5) राजस्थान में अपनी और दूसरों की सुरक्षा और सुरक्षा को खतरे में डालकर कारों को चलाते हैं। सार्वजानिक स्थानों पर सुरक्षा बैरिकेड्स फंड जाते है। राजस्थान में बाइक पर सवारी करता है और सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करता है।
६) कलावती, जो कि टैक्स-चोरी का आरोपी है, से मुलाकात करते हैं

7) झूठ बोलने के लिए अपराध बोध महसूस नहीं होता। अपने किसी भी अपराध के लिए माफी नहीं मांगता। 
परिकर वाली एक बेहद भ्रामक घटना एक ताज़ा उदहारण है।
ये वो कुछ उदहारण थे जो एक विछिप्त व्यक्ति के प्रत्येक गुण का उदाहरण देने के लिए थे।आप स्वयं गहराई मे जा सकते हैं और एक विछिप्त रूप से व्यवहार करने वाले राहुल की घटनाओं की अधिक विस्तृत सूची बना सकते हैं। 

आप उनको किस केटेगरी में रखना चाहेंगे ?

नारसिस्ट या एंटी सोशल ??
हो सकता है कि राहुल को बचपन से ही पर्सनालिटी डिसआर्डर की शिकायत रही हो क्योंकि नकवी की विकिलिक्स केबल में ऐसा ही उद्धृत किया गया है। 

हो सकता है कि विदेश में उनकी लगातार गुप्त यात्राओं में से कुछ का उनके मनोवैज्ञानिक विकारों से संबंधित उपचार हो।
हम नहीं जानते हैं और जो ये जानते हैं वे बतायेंगे नहीं। हालाँकि, असामाजिक व्यवहार को देखते हुए, किसी एक मीडिया आउटलेट ने आज तक कभी संसद के भीतर और बाहर उनके व्यवहार पर सवाल नहीं उठाया।
मोदीजी को भद्दे तरीके से, ऊँगली का इशारा करके खड़े होने के लिए कहना और फिर उन्हें गले लगाने के लिए कहने को, उनके मीडिया मेड्स द्वारा “संसदीय आचरण में एक महान परिवर्तन” के रूप में प्रचार किया गया था। 

हकीकत में ये एक असामाजिक व्यवहार था जो सामाजिक मानदंडों का अनादर करना चाहता है।
बिना इलाज का विछिप्त व्यवहार बिना इलाज की डायबिटीज के सामान है । हो सकता है आज राहुल जार्डिंग के हाथ की कठपुतली हो और हो सकता है कि कुछ पार्टी "हैंडलर" के हाथों में एक खिलौना हो ...
लेकिन बिना रत्ती भर सबूतों के मोदी जी को "चोर" कहना और फिर ये कहना कि "मेरे पास कोई सबूत नहीं है, लेकिन मुझे पता है कि मोदी जी शामिल है" निश्चित रूप से ये असामाजिक व्यक्तित्व विकार ही है। यह विकार परिकर प्रकरण के बाद पूरी तरह से सामने आ गया था।
राहुल की मूर्खतापूर्ण बातें जो आम तौर पर लोगों को हंसाती थीं, अब एक विछिप्त व्यवहार में बदल गई हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह अब आने वाले दिनों में बद से बदतर होता जाएगा।

और आज फिर वही हुआ है ...
राहुल ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि राष्ट्रपति मैक्रोन ने उन्हें बताया कि राफेल सौदे में कोई गोपनीयता नहीं थी। यह एक और बड़ा झूठ था। मैक्रोन ने स्पष्ट रूप से कहा कि राफेल का मुद्दा राहुल के साथ अपनी संक्षिप्त बैठक के दौरान कभी नहीं आया।
एक राजनेता का,वह भी एक सांस, एक राजनीतिक दल का प्रमुख, इतनी बेशर्मी से झूठ बोलना गंभीर व्यवहार संबंधी मुद्दों का संकेत है। अतीत में, उनके "आलू से सोना" या "धौलपुर में निर्मित, जौनपुर में निर्मित" या "जुपिटर वेलोसिटी" इस तरह की बकवास को मूर्खतापूर्ण बयान मानते हुए में हंसी आती थी
लेकिन ये भी दूसरों की सामान्य बुद्धि का मजाक उड़ाने के बराबर ही है। 

और जब एक 14 साल का बच्चा उनसे सवाल सवाल करता है (जैसा कि उसकी हालिया दुबई यात्रा में) तो राहुल एक मूर्खतापूर्ण काउंटर सवाल के साथ जवाब देता है 

"आप प्रधानमंत्री होंगे तो आप क्या करेंगे?"
जाहिर है कि, जर्डिंग और उनके हैंडलर्स ने उन्हें इस तरह के सवालों का जवाब देने के लिए कोच नहीं बनाया। 

अरे भाई कैंडिडेट पी एम के आप हो वो बच्चा नहीं ?
राहुल के इस सामाजिक व्यवहार को समझने के बाद , अब हम परिकर प्रकरण पर वापस आते हैं। परिकर से मिलने के अगले दिन, अपने भाषण में, राहुल ने गैर-कानूनी रूप से दावा किया कि परिकर ने फाइलों से भरे कमरे ,उन्हें राफेल सौदे के लिए चर्चा में शामिल नहीं होने और वह सब कुछ बताया था।
इसके अलावा, राहुल ने यह भी दावा किया कि एक ऑडियो टेप में भी "फाइलों से भरे कमरे वाली बातचीत" को प्रमाणित किया है। 

मुझे तो अब वाकई ऐसा लगता है कि यह विछिप्त व्यक्ति अपने बाथरूम में या कहीं और एक फोरेंसिक प्रयोगशाला चलाता है।
जब वह इसे संसद में उस ऑडियो को चलाना चाहते थे, तो अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से इसकी प्रामाणिकता के लिए जिम्मेदारी लेने के लिए कहा, लेकिन राहुल ने पलटी मार ली। वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर वह टेप के फर्जी झूठ को प्रमाणित करता है तो वह एक विशेषाधिकार प्रस्ताव का सामना करेगा।
इसे आप अक्षमता या नासमझी ना समझे बल्कि यह एक चरित्र-दोष और असामाजिक व्यवहार है।
राहुल ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह कल परिकर से मिले थे और परिकर ने ऐसा ऐसा कहा था ... वाक्य "परिकर ने कहा था" की निरंतरता ही असली खेल था। 

और यहां तक कि अगर राहुल अतीत की भी बात कर रहा था तो भी परिकर ने अतीत में कभी भी ऐसी कोई भी बात नहीं की है।
परिकर से पहली मुलाकात और फिर उनके बयानों को जिम्मेदार ठहराने का यह पूरा प्रकरण एक चतुराई और योजनाबद्ध तरीक से बनाया गया था। इस तरह के काम केवल एक घिनोना और विछिप्त व्यक्ति ही कर सकता है। राहुल के झूठ के पर्दाफाश होने के बाद भी उसकी घटिया हारकर रुकी नहीं और उसने ये ट्वीट किया:
इस पूरी बात का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करें। सफ़ेद झूठ बोलने और बकवास करने के बाद दोबारा बकवास करना और फिर दावा करना कि परिकर उस पर "हमला" कर रहे हैं, ये विछिप्त व्यवहार नहीं तो और क्या है? 
राहुल की राफेल से सम्बंधित बकवास में, परिकर ने कभी भी राहुल के नाम का उल्लेख नहीं किया।
राहुल के झूठ बोलने के बाद ही परिकर को राहुल के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए पत्र जारी करना पड़ा। 
प्लान तो शानदार था कि पहले परिकर से मिलें, फिर झूठ बोलें और उसके बाद “विक्टिम कार्ड” खेलें।
हद तो तब हुई जब राहुल ने परिकर को दबाव में बताते हुए व्यंग्य किया और कहा कि वह उसके साथ "सहानुभूति" रखता है। 

बहुत स्पष्ट रूप से ध्यान दें, यह मूढ़ मगज राहुल “सहानुभूति” जैसे शब्दों को नहीं जानता है।
पहले कहीं मैंने उल्लेख किया था कि उन्होंने एक ट्वीट में "शोक" शब्द का इस्तेमाल किया था और यहाँ वह "सहानुभूति" का उपयोग करते हैं। यह स्पष्ट रूप से उनकी शब्दावली नहीं है।
यदि आप उनके भाषणों को फिर से सुनते हैं, तो आप किसी भी संदर्भ में इस तरह के शब्द कभी नहीं सुनेंगे क्योंकि ऐसे चरित्रों को किसी के साथ "सहानुभूति" नहीं होती है।
वे गरीबों से नहीं जुड़े हैं, वे गरीबों के साथ सहानुभूति नहीं रखते हैं और वे किसी भी तरह से भारत से किसी भी मायने में जुड़े नहीं हैं। राहुल ने परिकर को जो पत्र लिखा, वह उनका लेखन नहीं है (कई राजनेता अपने पत्र नहीं लिखते हैं) और शायद उनके "हैंडलर" द्वारा मनगढ़ंत लिखा हुआ है:
राहुल ने भ्रामक रूप से दावा किया कि उन्होंने परिकर के बारे में जो कहा था वह पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में था। यह एक और शानदार झूठ था। पब्लिक डोमेन में झूठ किसने डाला? 
सीबीआई ने या एफबीआई ने ?
किसी और जांच एजेंसी की रिपोर्ट है वो सब जो पब्लिक डोमेन में है? 

नहीं!
यह स्वयं राहुल थे जिन्होंने झूठ को बार-बार जनता के सामने रखा और फिर दावा किया कि यह पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में है जैसे कि ये किसी जांच एजेंसी की रिपोर्ट है। यह जर्डिंग और राहुल के हैंडलर्स की ही करतूत है। राहुल के पास इस तरह की जुगाड़ के लिए दिमाग नहीं है।
वह एक मनोवैज्ञानिक रूप से क्षतिग्रस्त आदमी है जिसे एक ऐसी भूमिका में धकेल दिया गया है जिसके लिए वह अनुकूल नहीं है और अब किसी भी तरह से हीरो बनने के लिए बकबक किया जा रहा है
आज तक राहुल के नाम ऐसा कोई सराहनीय और प्रशंसनीय कार्य नहीं है और न ही उसके पास सफलता की कहानियां जिसके बारे कुछ भी लिखा जा सके। अतीत में किए गए उनके हर प्रयास में एक व्यक्ति के रूप में उनकी असफलता उनके क्रोध और असामाजिक व्यवहार को बढ़ाती है।
डॉ स्वामी ने बार-बार यह भी आरोप लगाया है कि राहुल एक ड्रग एब्यूजर है। विदेश में उनकी कई यात्राओं में उनके इलाज का संदेह था। मैंने लंबे समय तक साइकोपैथिक और सोशोपैथिक व्यवहार का अध्ययन किया है।
“All psychopaths are sociopaths but all sociopaths need not be psychopaths. Psychopaths are sociopaths that degenerate into criminal conduct.”
नेशनल हेराल्ड और संबंधित भूमि हड़पने के साथ गैर-धोखाधड़ी धोखाधड़ी एक सोशियोपैथ के अपराधीकरण में लीन होने का एक क्लासिक मामला है। शायद राहुल के पास भी नेशनल हेराल्ड धोखाधड़ी को पूरी तरह से समझने के लिए दिमाग नहीं है।
उन्होंने शायद सोचा कि “वे गाँधी” कानून से ऊपर है और यह उनके लिए ये सब सामान्य आचरण है।

राहुल ने एक खतरनाक विछिप्त व्यक्ति के सभी लक्षणों का लगातार प्रदर्शन किया है। जबकि उनके इसी व्यवहार को मीडिया मेड्स द्वारा "परिपक्व" के रूप में मूर्खतापूर्ण रूप से दिखाया जाता रहा है।
इस भ्रष्ट आदमी के व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए आज तक ना तो राजदीप सरदेसाई या कांग्रेस की पैरोकार बरखा दत्त या मक्कार शेखर गुप्ता कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पाया । राहुल ना सिर्फ जनता के लिए खतरा है और बल्कि खुद के लिए भी एक खतरा ही है।
ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति के साथ प्रधामंत्री या मंत्री बनना तो दूर , राहुल को तो सार्वजनिक जीवन में बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। 
उस व्यक्ति, पार्टी, राज्य या देश का क्या भविष्य होगा जिसका प्रमुख अगर एक भ्रष्ट, हताश और विछिप्त आदमी है।

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