और फिर वो आ गए ....


आज भी याद है मुझे वो सुबह। हम सभी दूसरी मंजिल से सुरक्षा के लिए सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे। किसी भी क्षण इमारत हमारे ऊपर गिर सकती थी। सीढ़ियाँ और रेलिंग बेतहाशा हिल रहे थे और अगले पल की कोई खबर नहीं थी।
घर छोड़ने वाला मैं अंतिम शख्स था उस रोज़ ।अगले कुछ दिनों तक हम अपने परिवार के अन्य घरों में सोते रहे। यह देखने के लिए कि क्या पानी हिल तो नहीं गया ,मैं हर समय टेबल पर पानी का एक गिलास रखे रहता था। मैं रात रात भर उसे देखता रहता। जब भी पानी थरथराता तो हम सभी जमीन पर लेट जाते
वह जनवरी २००१ का गणतंत्र दिवस था जब सुबह आठ बजे गुजरात में भूकंप आया था।
एक पूरे सप्ताह के लिए हमने आफ्टरशॉक महसूस करते रहे और बस अपने अपने घरों में अंदर और बाहर होते रहे। मुझे आज तक वह बुरा सपना याद है।
अहमदाबाद में एक स्कूल की इमारत के नीचे सौ से अधिक बच्चे मारे गए थे।
याद है आपको ?

किसी को याद नहीं होगा !

इसका केंद्र भारत के गुजरात के कच्छ जिले के भचौ तालुका में चबारी गांव के लगभग 9 किमी दक्षिण-दक्षिणपश्चिम में था।
इसने उस क्षेत्र में सब कुछ नष्ट कर दिया था, सब कुछ यानी सब कुछ।
अगर आप अहमदाबाद में किसी से "मानसी टॉवर" का उल्लेख करेंगे तो लोग आपको मौतों की भीषण कहानियाँ सुनाएँगे।
उन १० सेकंडो ने लोगों की जिंदगी भर की कमाई और उम्मीदों को तबाह कर दिया था।
उस भूकंप में २०,००० से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे।

आज भी याद है मुझे वो सुबह..
और इन्ही भयावह परिस्थितियों में नरेंद्र मोदी जी को राहत कार्य सुनिश्चित करने के लिए गुजरात भेजा गया था। ऐसा माना जाता था कि मोदी जी राहत कार्यों और सामाजिक सेवा के विशेषज्ञ थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,जो गरीबों के लिए बेहतर काम करती है,के कार्यकर्ताओं और निजी गैर सरकारी संगठनों द्वारा बहुत सी राहत प्रदान की गई थी..
किन्तु मीडिया ने आपको विश्वास दिलाया होगा कि इस आदमी को भूकंप की आपदा को "हिंदुत्व प्रयोगशाला" में बदलने के लिए भेजा गया था।
सच कहूं, मैंने तब भी मोदी जी के बारे में नहीं सुना था। हमारा मुख्यमंत्री कौन है के बारे में जानने की बजाय हम सभी अपने जीवन को सामान्य करने के बारे में अधिक परेशान थे।
और उधर मीडिया मेड्स आपको विश्वास दिलाते थे कि कच्छ में रहत कार्यों को अपनी देख रेख में कराने वाला यह व्यक्ति जन-हत्यारा है। आजाद भारत के इतिहास में कोई भी बड़ा झूठ कभी सामने नहीं आया है।
यदि आप आज कच्छ जाते हैं, तो आपको खुशी होगी कि कैसे घरों को बेहतर गुणवत्ता के साथ दोबारा से बनाया गया है। अस्पतालों को बेहतर गुणवत्ता के लिए बहाल किया गया है।
हम मृतकों को वापस नहीं ला सकते। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितना सहानुभूति रखते हैं और अगर सहानुभूति रखते भी हैं तो भी हम उन लोगों के दुख को महसूस नहीं कर सकते हैं जिन्होंने अपने करीबी को खो दिया।
२००२ के गोधरा कांड और दंगों को अब तक भारत में हुए किसी भी दंगे से ज्यादा कहा-सुना-पढ़ा जाता है। इतना कुछ कहा गया है गोधरा के बारे में कि अब कुछ बाकी नहीं रहा है...
राजनीति में बने रहना एक कौशल है और मोदी जी के पास यह कौशल था.
मोदी जी सफल होते गये भी जबकि कई लोग ऐसा नहीं चाहते थे। दिसंबर २००२ में ही मैंने पहली बार मोदी जी के भाषणों को सुना था।
और जिसने भी उन्हें सुना, उन सभी ने पाया था एक असाधारण आदमी को अपने सामने जो लोगों से जुड़ा हुआ था। उसका बोझ न केवल खुद को निर्दोष साबित करना था बल्कि प्रदर्शन करना था।
जबकि मीडिया मेड्स ने सुनिश्चित किया हुआ था कि उन्हें कभी संदेह का लाभ नहीं दिया जाएगा और इसलिए अब मोदी के पास उनका एकमात्र विकल्प प्रदर्शन था।
जब मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया तो कांग्रेस और मीडिया ने चिल्लाना शुरू कर दिया था कि उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी और पार्टी में वरिष्ठों का अपमान किया है
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति हैं जो सच्चाई और प्रदर्शन का सम्मान करते हैं तो हर किसी को इस तथ्य की प्रशंसा करनी चाहिए कि भाजपा ने आगे बढ़ने और एक नया नेता चुनने का साहस दिखाया था।
आप कांग्रेस में ऐसा होने के बारे में नहीं सोच सकते जहाँ एक नकली गांधी एक स्थायी नेता हैं।

परिवर्तन अपरिहार्य है। उस भाजपा ने आडवाणी से आगे बढ़ने का साहस दिखाया, यह एक शानदार उपलब्धि है, जिसे हमारे मीडिया द्वारा रेखांकित किया गया है।
मैंने मीडिया के झूठ और प्रचार का मुकाबला करने के लिए इस ब्लॉग को लिखना शुरू किया था। यह अविश्वसनीय है कि वही मीडिया अब दावा कर रहा है कि उन्होंने मोदी के इर्द-गिर्द मीडिया का प्रचार किया जब वे वास्तव में उसे तबाह करना चाहते थे।
मुझे नहीं पता था कि जब मैंने लिखना शुरू किया था कि एक दिन मोदी पीएम उम्मीदवार होंगे या कभी पीएम होंगे। ये मेरी चिंता नहीं थी।
बिना भारी कीमत चुकाए एक समाचार मीडिया एक व्यक्ति के बारे में इतना झूठ बोल सकता है कि नहीं ये आप पर छोड़ देता हूँ मैं। इन झूठों के जरिए खुद को समृद्ध करने वाले अब मोदी-चमत्कार पर उपदेश दे रहे हैं। इस से ज्यादा हास्यास्पद और कुछ हो नहीं सकता
मोदी नाम की इस असाधारण घटना पर मुझे इसे से ज्यादा कुछ नहीं कहना है, लेकिन इस देश के तथाकथित मीडिया की मृत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूँ..


मैं इन लोगों की मौत की कामना नहीं कर रहा लेकिन यह उनके चरित्र और विवेक की मृत्यु है। मुझे उम्मीद है कि वे महसूस करेंगे कि उनके झूठ काम नहीं आये। मुझे आशा है कि वे महसूस करते हैं कि लोग मूर्ख नहीं हैं।
मुझे उम्मीद है कि वे इस समय के आगमन को स्वीकार करेंगे। मुझे आशा है कि उनके पास यह स्वीकार करने की शालीनता है कि वे गलत थे। मेरे लिए, मैंने सिर्फ एक नौकरी की और मैं सम्मान में छोड़ सकता हूं।

मैं "आगमन" कहता हूँ....


original post : http://www.mediacrooks.com/2014/05/arrival.html


Comments