कुम्भ २०१९ की स्मृतियाँ



तो फिर कल मिलते हैं ....

दिल्ली में आज सुबह से कोहरा पड़ने लगा है..

रास्ते में ड्राइवर साहब , अजीत जी से काफी लंबी चर्चा हुई जो आपको दूसरे थ्रेड में मिलेगी।

फिलहाल उनसे चाय के लिए निवेदन किया गया जो ब्रेड पकोड़े के साथ पूरा किया गया।

एयरपोर्ट बस निकट ही है..
१. पिछले कुछ सालों में जिसकी तस्वीर बहुत बदली है वो हैं भारत के एयरपोर्ट।
बदलते हुए समय और भारत की विशाल संस्कृति की अब सबसे शानदार झलक एयरपोर्ट पर ही मिलती है।

सामने बैठे साधु महाराज खिलखिलाकर मोबाइल पर कुछ देखे जा रहे हैं।
भीड़ अब ऐसे होती है जैसे कुछ सालों पहले स्टेशन पर या बस अड्डों पर होती थी। ये नया भारत है जो पैसा कमा भी रहा है और खर्च भी करता है। और खुशी है कि सरकार ने इस और बहुत बड़े बड़े कदम उठाए हैं।
दिल्ली से प्रयागराज का सफ़र करीब सवा घंटे में पूरा किया जाएगा।
वहां पर लखनऊ से मेरे एक मित्र मिलेंगे जो एक सरकारी विभाग में हैं और मुझे सहायता करने प्रयागराज पधारे हुए हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ के सिक्युरिटी अफसर ने पूछा कि क्या मै पहली बार प्रयागराज जा रहा हूं।
मुझे उसी ने बताया कि अभी हाल में तैयार हुआ है वो और काफी छोटा सा है। मुझे ये भी मालूम पड़ा कि आज ही महामहिम भी पहुंच रहे हैं कुंभ, तो आज काफी व्यस्त होगा घाट।
और जनाब , जनाब ..

साधु महाराज हमारे साथ ही सफर कर रहे हैं
स्थानीय पत्रकारों के साथ हूं और कुछ सरकारी अफसर भी है साथ में।काफी रोचक जानकारियां मिल रही हैं।प्रयागराज में काफी काम हुआ है और शहर की शक्ल बदल चुकी है।
सड़कों पर ट्रैफिक की मारामारी नहीं है।

पर वोट किसको जाएगा ?

वो दूसरी थ्रेड में...
महा संक्रांति के दिन करीब सवा करोड़ लोगों ने दर्शन और स्नान का लाभ उठाया और उसके बाद प्रतिदिन करीब पांच लाख लोग आ जा रहे हैं।

पूछा जब शीर्ष अधिकारियों से कि कैसे कर लिया आपने तो कहा गया...

"गंगा मैया की किरपा है...."
दीवारों पर कथाएं हैं..
पेड़ो को चिन्हित किया गया है और पेंट कर दिया गया है।

कहीं कान्हा तो कहीं गंगा मैया ...
ये ए डी ए की इमारत है जिसको कुंभ के रंग में रंग दिया गया है।
मेरी फोटोग्राफी स्किल्स पर कॉमेंट ना करिएगा 🙏🏼🙏🏼..

चलती गाड़ी से लिए जा रहे हैं ये सारे फोटो और वीडियो।

सारे चौराहों पर किसी ना किसी महापुरुष या इतिहास पुरुष की मूर्ति को स्थापित किया गया है। रोशनी होने लगी है प्रयागराज में...

मेले की तरफ भीड़ बढ़ने लगी है
जी ने देहाती रसगुल्ले के बारे में बताया था , जी ललचा गया।
पूछा गया सो पाया गया...
दुकान और दुकान वाले की शक्ल और कपड़ों पर ना जाइएगा ...
खाना रसगुल्ले है तो और कुछ देखने का मतलब ही नहीं..

रूई के बने है रसगुल्ले.…

यानी कि ग़ज़ब..
शुक्रिया अंकिता
मित्र ने पूछा कि अगर देहाती हो गया है तो हीरा भी चलिए।

अब हीरा क्या है भाई ??

मालूम हुआ कि वो समोसे बनाते है और काफी प्रसिद्ध हैं तो रसगुल्ले के बाद समोसे भी गटक लिए गए हैं।

ये नहीं बताऊंगा कि लंच में कढ़ी चावल खाए जा चुके थे 😂😂
खाना पीना संपन्न हुआ और अब प्रस्थान थोड़ा आराम के लिए।
तम्बू में बम्बू अब रात्रि १०बजे लगेगा और स्नान सुबह ३बजे का निश्चित हुआ है।

फिर मुलाकात होगी रात्रि में तब तक आज़ाद जी के जलवे देखिए...
छाए हुए हैं..

एफएम पर गीत मेरे लिए ही बज रहा है 😋😋
पधार गए हैं हम.….

आने वाले कुछ घंटे आप सभी को कुछ ना कुछ दिखाते और सुनाते रहेंगे..

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